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खान-पान और गठिया (To Control Arthritis Improve Diet)

          खान-पान और गठिया (To Control Arthritis Improve Diet) गठिया रोग में जोड़ों में गांठें बन जाती हैं और शूल चुभने जैसी पीड़ा होती है, चलने-फिरने में भी तकलीफ होने लगती है तथा जोड़ों में बहुत दर्द होता है गठिया का मूल कारण:  गठिया का मूल कारण है शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा का बढ़ जाना, जिसकी वजह से जोड़ों में सूजन आ जाती है। पीड़ित दर्द के कारण ज्यादा चल फिर नहीं सकता, यहां तक कि हिलने-डुलने में भी परेशानी होने लगती है। सबसे पहले इसका असर पैरों के अंगूठे में देखने को मिलता है। इस रोग की सबसे बड़ी पहचान ये है कि रात को जोड़ों का दर्द बढ़ता है और सुबह थकान महसूस होती है। गठिया में परहेज़ आवश्यक होता है  इसलिए आपको यह जानना जरुरी है क्या खाएं और क्या नहीं खाएं। गठिया में जड़ों वाली फ़ल सब्जियां काफी लाभप्रद होती हैं , गाजर, शकरकंद और अदरक अच्छा होता है। इनमें  प्यूरिन की मात्रा काफी कम होती है। गठिया से पीड़ित व्यक्तियों को ढेर सारा पानी पीनें और तरल पदार्थों का सेवन करने को कहा जाता है, लेकिन अल्कोहल और सॉफ्ट ड्रिंक के सेवन से बचें अगर आप अल्कोहल और सॉफ्ट ड्रिंक का
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ऑस्टियो आर्थराइटिस से कैसे करें बचाव




IMPORTANT NOTE
  • यह सबसे आम प्रकार का अर्थराइटिस है।
  • पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं ज्‍यादा प्रभावित।  
  • क्षतिग्रस्त जोड़ों का अपने आकार से बड़ा दिखना।
  • मसाज से जोड़ों की मांसपेशियों में मजबूती आती है।ऑस्टियो आर्थराइटिस सबसे आम प्रकार का अर्थराइटिस है। यह बढ़ती उम्र के साथ होता है। यह अंगुलियों और कूल्हों के अलावा पूरे शरीर का भार सहन करने वाले घुटनों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। इस समस्‍या के होने पर घुटनों में सूजन और चलते समय घुटने में तेज दर्द होता है। घुटने की नर्म कार्टिलेज, हड्डी को मुलायम तकिये की तरह सहारा देती है, पर उम्र बढ़ने के साथ-साथ वह घिसती जाती है और कम हो जाती है, जिस कारण हड्डियां एक-दूसरे से रगड़ खाने लगती हैं। यह दर्द और सूजन का कारण बनता हैं।
    • वैसे तो यह बीमारी किसी भी महिला या पुरुष को हो सकती है, पर 50 की उम्र पार कर गईं ज्यादातर महिलाएं रजोनिवृत्ति के बाद उनके हार्मोन स्तर में बदलाव, इस समस्या का आसानी से शिकार हो जाती हैं। इसके अलावा महिलाओं की शरीर की बनावट भिन्‍न होने के कारण भी यह समस्‍या होती है। वैसे आजकल युवाओं में भी यह बीमारी देखने को मिल रही है।

      ऑस्टियो आर्थराइटिस के लक्षण

      • दर्द की शिकायत
      • घुटने को हिलाने-डुलाने में दिक्कत होना
      • शरीर में अकड़न महसूस होना
      • क्षतिग्रस्त जोड़ों का अपने आकार से बड़ा दिखना।

      ऑस्टियो आर्थराइटिस बढ़ने के कारण

      • बढ़ता वजन
      • बढ़ती उम्र
      • अनुवांशिक कारण
      • पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं ज्‍यादा प्रभावित
      • जोड़ों में चोट
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      ऑस्टियो आर्थराइटिस बचाव के उपाय


      एक्‍सरसाइज करें

      ऑस्टियोआर्थराइटिस के दर्द को दूर करने के लिए एक्‍सरसाइज करें। यह क्षतिग्रस्त जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। वैसे एक्‍सरसाइज  ऑस्टियो-आर्थराइटिस में कई अर्थों में उपयोगी होता है। सबसे पहले, यह जोड़ों के आसपास की पेशी का समर्थन मजबूत करता है। और जोड़ों में सुधार और जोड़ों की गतिशीलता बनाये रखता है। इसके अलावा एक्‍सरसाइज वजन कम करने में मदद करने के साथ सहनशीलता को भी बढ़ावा देता है। ऑस्टियोआर्थराइटिस होने पर तैरना विशेष रूप से अनुकूल होता है क्योंकि यह जोड़ों के लिए कम से कम तनाव प्रभाव का अभ्यास कराता है।

      थेरेपी भी लें

      दर्द से छुटकारा पाने के लिए दवा लेना ही काफी नहीं होता। इसके अलावा भी कई ऐसी थेरेपी हैं, जो बिना दवा के ही आपको दर्द से मुक्ति दिला सकती हैं। फिजियोथेरेपी ऐसी ही एक थेरेपी है। इसमें इलाज का एक अलग तरीका होता है, जिसमें एक्सरसाइज, हाथों की कसरत, पेन रिलीफ मूवमेंट द्वारा दर्द को दूर किया जाता है। यह थेरेपी एक तरीके से शरीर को तरोताजा करने का काम करती है। ऑस्टियोआर्थराइटिस की समस्‍या में आप टेन्स थेरेपी की मदद ले सकते हैं। इस थेरेपी में ऐसे मशीन का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे दर्द को कम किया जा सकता है। इसके साथ ही थरमोथेरेपी की जा सकती है। इसमें क्षतिग्रस्त जोड़ों पर ठंडे या गर्म पैक को रखा जाता है। इससे बहुत आराम मिलता है।

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      मसाज करवायें

      मसाज ऑस्टियोआर्थराइटिस के दर्द में कमी लाने में बहुत फायदेमंद होता है। इससे जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों में लचीलापन और मजबूती आती है। नेशनल सेंटर ऑफ कॉम्प्लिमेंटरी एंड अल्‍टरनेटिव मेडिसिन (एनसीसीएम) द्वारा समर्थित एक शोध के अनुसार, स्‍वीडिश मसाज के एक सप्‍ताह के साठ मिनट सत्र को करवाने से घुटने के क्रोनिक ऑस्टियोआर्थराइटिस के साथ लोगों की परेशानी में महत्‍वपूर्ण कमी पाई गई।

      आहार भी है महत्‍वपूर्ण

      भारतीय महिलाओं की खुद के प्रति पोषण की उदासीनता उनकी कई समस्याओं की जड़ है। नियमित पौष्टिक भोजन करके वे कई समस्याओं के साथ ऑस्टियोआर्थराइटिस को भी दूर रख सकती हैं। ऑस्टियोआर्थराइटिस से बचाव के लिए अपने आहार में ग्लूकोसमीन और कोन्ड्रायटिन सल्फेट जैसे तत्वों से भरपूर होना चाहिए। ये हड्डियों और कार्टिलेज के अच्छे दोस्त होते हैं। 


      चूंकि ऑस्टियोआर्थराइटिस की यह बीमारी लंबे समय तक आपको परेशान कर सकती है, इसलिए मरीज को दवाओं से ज्यादा बचाव और सावधानियों पर ध्यान देना चाहिए। 

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