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खान-पान और गठिया (To Control Arthritis Improve Diet)

          खान-पान और गठिया (To Control Arthritis Improve Diet) गठिया रोग में जोड़ों में गांठें बन जाती हैं और शूल चुभने जैसी पीड़ा होती है, चलने-फिरने में भी तकलीफ होने लगती है तथा जोड़ों में बहुत दर्द होता है गठिया का मूल कारण:  गठिया का मूल कारण है शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा का बढ़ जाना, जिसकी वजह से जोड़ों में सूजन आ जाती है। पीड़ित दर्द के कारण ज्यादा चल फिर नहीं सकता, यहां तक कि हिलने-डुलने में भी परेशानी होने लगती है। सबसे पहले इसका असर पैरों के अंगूठे में देखने को मिलता है। इस रोग की सबसे बड़ी पहचान ये है कि रात को जोड़ों का दर्द बढ़ता है और सुबह थकान महसूस होती है। गठिया में परहेज़ आवश्यक होता है  इसलिए आपको यह जानना जरुरी है क्या खाएं और क्या नहीं खाएं। गठिया में जड़ों वाली फ़ल सब्जियां काफी लाभप्रद होती हैं , गाजर, शकरकंद और अदरक अच्छा होता है। इनमें  प्यूरिन की मात्रा काफी कम होती है। गठिया से पीड़ित व्यक्तियों को ढेर सारा पानी पीनें और तरल पदार्थों का सेवन करने को कहा जाता है, लेकिन अल्कोहल और सॉफ्ट ड्रिंक के सेवन से बचें अगर आप अल्कोहल और सॉफ्ट ड्रिंक का
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अर्थराइटिस के दर्द की करनी है छुट्टी, तो 7 बातों का रखें ख्याल

अर्थराइटिस के दर्द की करनी है छुट्टी, तो 7 बातों का रखें ख्याल दर्द, अकड़न और जोड़ों में सूजन जैसी बीमारियां अर्थराइटिस के ही लक्षण हैं। नियमित रूप से एक्सरसाइज करने से जोड़ों के दर्द और अकड़न से राहत मिलती है। साथ ही इससे मांसपेशियां मजबूत और लचीली भी होती हैं। इसके अलावा वजन कम करने में भी ये मददगार साबित होती है। एक्सरसाइज अर्थराइटिस के ट्रीटमेंट प्लान का ही एक हिस्सा है। इसके ट्रीटमेंट प्लान में रिलैक्सेशन, उचित आहार और मेडिटेशन शामिल है। मोशन एक्सरसाइज जोड़ों के मूवमेंट को सामान्य बनाए रखने के लिए मोशन की अलग-अलग तरह की एक्सरसाइज करनी चाहिए। इस तरह की एक्सरसाइज की मदद से शरीर में लचीलापन बना रहता है। आपको बता दें कि इन मोशन एक्सरसाइजों को नियमित रूप से किया जा सकता है, लेकिन कम से कम एक दिन छोड़ एक दिन इन्हें जरूर करना चाहिए। स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइज  वहीं मसल्स की पावर बढ़ानी है तो स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइज करनी चाहिए। मजबूत मसल्स होने से ज्वॉइंट्स भी मजबूत रहते हैं। स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइजों को भी नियमित रूप से किया जा सकता है, या फिर एक दिन छोड़ एक दिन

What Is a Frozen Shoulder?

What Is a Frozen Shoulder? that affects your  shoulder   joint . It usually involves pain and stiffness that develops gradually, gets worse and then finally goes away. This can take anywhere from a year to 3 years. Your shoulder is made up of three bones that form a ball-and-socket joint. They are your upper arm (humerus), shoulder blade (scapula), and collarbone (clavicle). There’s also tissue surrounding your shoulder joint that holds everything together. This is called the shoulder capsule. With frozen shoulder, the capsule becomes so thick and tight that it’s hard to move. Bands of scar tissue form and there’s less of a liquid called synovial fluid to keep the joint lubricated. These things limit motion even more. Symptoms The main symptoms of a frozen shoulder are pain and stiffness that make it difficult or impossible to move it. If you have frozen shoulder, you’ll likely feel a dull or achy pain in one shoulder. You might also feel the pain in the sh

सर्वाइकल से निजात पाने के लिए जरूरी काम

सर्वाइकल से निजात पाने के लिए जरूरी काम तनावपूर्ण जिंदगी में ज्यादातर लोग किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त रहते है, जिसमें  सर्वाइकल एक आम परेशानी है।  जब गर्दन की हड्डियों में घिसावट होती है तो सर्वाइकल की समस्या सामने आती है जिसे गर्दन के अर्थराइटिस के नाम से भी जाना जाता है। सर्वाइकल की परेशानी आमतौर पर ज्यादा टीवी देखने, लंबे समय  गर्दन को झुकाकर डेस्क वर्क या पढ़ाई-लिखाई करना, गर्दन में झटका देने, ज्यादा ऊंचे तथा कठोर तकिए का इस्तेमाल करने आदि से होती है। इसमें नसों पर दबाव पड़ने से दर्द गर्दन से शुरू होकर कंधे से होता हुआ पैरो के अगूंठे तक दर्द महसूस होता है। सर्वाइकल का दर्द कभी-कभी असहनीय हो जाता है जिस वजह से किसी भी काम में मन नहीं लगता।  ऐसे में लोग डॉक्टरी सहायता लेकर इस दर्द को दूर करते है। माना की डॉक्टरी सहायता जरूरी है लेकिन आप इसका घरेलू इलाज भी कर सकते है। हम आपको घर में सर्वाइकल के दर्द से छुटकारा दिलाने के तरीके बताएंगे जो आपके बहुत काम भी आएंगे।  1. गर्दन की एक्‍सरसाइज इस दर्द को कम करने के लिए गर्दन को घ़ड़ी की दिशा में हल्के-हल्के पांच या दस बार घुमा
ऑस्टियो आर्थराइटिस से कैसे करें बचाव IMPORTANT NOTE यह सबसे आम प्रकार का अर्थराइटिस है। पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं ज्‍यादा प्रभावित।   क्षतिग्रस्त जोड़ों का अपने आकार से बड़ा दिखना। मसाज से जोड़ों की मांसपेशियों में मजबूती आती है। ऑस्टियो आर्थराइटिस सबसे आम प्रकार का अर्थराइटिस है। यह बढ़ती उम्र के साथ होता है। यह अंगुलियों और कूल्हों के अलावा पूरे शरीर का भार सहन करने वाले घुटनों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। इस समस्‍या के होने पर घुटनों में सूजन और चलते समय घुटने में तेज दर्द होता है। घुटने की नर्म कार्टिलेज, हड्डी को मुलायम तकिये की तरह सहारा देती है, पर उम्र बढ़ने के साथ-साथ वह घिसती जाती है और कम हो जाती है, जिस कारण हड्डियां एक-दूसरे से रगड़ खाने लगती हैं। यह दर्द और सूजन का कारण बनता हैं। वैसे तो यह बीमारी किसी भी महिला या पुरुष को हो सकती है, पर 50 की उम्र पार कर गईं ज्यादातर महिलाएं रजोनिवृत्ति के बाद उनके हार्मोन स्तर में बदलाव, इस समस्या का आसानी से शिकार हो जाती हैं। इसके अलावा महिलाओं की शरीर की बनावट भिन्‍न होने के कारण भी यह

जोड़ों में दर्द के लक्षण, कारण और इलाज क्या हैं

                             जोड़ों में दर्द  के लक्षण, कारण और इलाज क्या हैं   शरीर में वैसे तो हर हिस्सा महत्वपूर्ण होता है इसलिए किसी भी अंग के प्रति लापरवाही करना ठीक नहीं पर कुछ ऐसे अंग हैं जिनमें अगर कमी आई तो न केवल उतने हिस्से में बल्कि पूरे बदन और आपकी सुबह शाम बिगाड़ने पर उतारू हो जाते हैं जैसे जॉइंट पेन की ही बात कर लीजिए। शरीर के ऐसे हिस्से जहां हड्डियां मिलती हों, उसे जोड़ कहते हैं, जैसे घुटने कंधे,कोहनी आदि। इन्हीं जोड़ों में कठोरता सूजन किसी तरह की तकलीफ जो दर्द का कारण बने, जॉइंट पेन या जोड़ों में दर्द कहलाती है। जोड़ शरीर का अहम हिस्सा होते हैं जिनके कारण उठना- बैठना, चलना, शरीर को मोड़ना आदि मुमकिन होता है। ऐसे मे जोड़ों में दर्द होने पर पूरे शरीर का स्वास्थ्य प्रभावित होता है, और दर्द के साथ ही मानसिक रूप से थका हुआ महसूस करवाता है ।  अब जानते हैं कि जॉइंट पेन के लक्षण, कारण और इलाज क्या हैं ।             जोड़ों में दर्द के लक्षण https://shri-krishna-physiotheraphy-and.business.site जोड़ों को मोड़ने में परेशानी होना जोड़ों का लाल होना जोड़ों में खिंचाव महसू